The Term of the Day - Acromion : अंसकूट [आयुर्विज्ञान विषय ]

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The Term of the Day - Untreatable : असाध्य [आयुर्विज्ञान विषय ]

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The Term of the Day - Carminative : अग्निदीपन [आयुर्विज्ञान विषय ]

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The Term of the Day - Dyspepsia : अग्निनाश [आयुर्विज्ञान विषय]

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The Term of the Day - Exhaustion :अङ्गावसादन [आयुर्विज्ञान विषय]

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The Term of the Day - Horripilation : अड्गहर्ष [आयुर्विज्ञान विषय]

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The Term of the Day - Hypertrichosis : अतिलोम [आयुर्विज्ञान विषय]

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The Term of the Day - Epiglottis : अधिजिह्विका [आयुर्विज्ञान विषय]

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The Term of the Day - Bone Hypertrophy : अध्यस्थि [आयुर्विज्ञान विषय]

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हमारे बारे में

सभी भारतीय भाषाओं के लिए पारिभाषिक शब्दावली के विकास के उद्देश्य से महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने एक समिति की संस्तुति के आधार पर, 27 अप्रैल, 1960 को एक स्थायी आयोग के गठन का आदेश दिया जिसके अनुसरण में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 के खंड (4) के उपबंधों के अधीन, दिनांक 1 अक्टूबर, 1961 को भारत सरकार द्वारा वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग की स्थापना की गई। शब्दावली आयोग का मुख्य कार्य मानक शब्दावली विकसित करना तथा उसका प्रयोग, वितरण एवं प्रचार करना है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली विकसित करने में राज्य सरकारों, विश्वविद्यालयों, क्षेत्रीय पाठ्य पुस्तक बोर्डों तथा राज्य अकादमियों के सहयोग से हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में संदर्भ ग्रंथों/सामग्री का विकास भी सम्मिलित है।

वर्तमान में वै.त.श.आयोग (CSTT), उच्चत्तर शिक्षा विभाग, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है| वै.त.श.आयोग द्वारा विकसित मानक शब्दावली का प्रयोग करते हुए विश्वविद्यालय स्तरीय पाठ्य-पुस्तकों व संदर्भ ग्रंथों के हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में प्रकाशन हेतु 22 राज्य ग्रंथ अकादमियों/राजकीय पाठ्य-पुस्तक मंडलों, विश्वविद्यालय जैसे इकाइयाँ वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के साथ कार्यरत हैं। अब तक वै.त.श.आयोग द्वारा विभिन्न भाषाओं तथा विषयों के लगभग आठ लाख शब्दों की मानक शब्दावलियों का प्रकाशन किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त; वै.त.श.आयोग द्वारा बड़ी संख्या में पारिभाषिक शब्दालियों, शब्द कोशों, पाठ्य-पुस्तकों, संदर्भ ग्रंथों, त्रैमासिक पत्रिका ('विज्ञान गरिमा सिंधु' तथा 'ज्ञान गरिमा सिंधु'), मोनोग्राफ तथा समान प्रकृति के साहित्य आदि का प्रकाशन किया जाता है। वै.त.श.आयोग द्वारा विभिन्न शासकीय विभागों में प्रयोग की जाने वाली प्रशासनिक शब्दावली भी विकासित की गई है, जिसका प्रयोग बड़े पैमाने पर शासकीय विभागों, संस्थानों, शोध-अनुसंधान प्रयोगशालाओं, स्वायत्त संस्थाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों आदि द्वारा किया जाता है।

हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की मानक शब्दावली को लोकप्रिय बनाने तथा इसके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए वै.त.श.आयोग निरंतर कार्यशालाओं, संगोष्ठियों, सम्मेलनों, अभिविन्यास तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन भी करता रहता है।

Education Minister

श्री धर्मेन्द्र प्रधान

शिक्षा मंत्री ,
भारत सरकार

Chairman

             
Prof. Girish Nath Jha, Chairman, CSTT, GOI
             
               
प्रो.गिरीश नाथ झा

अध्यक्ष,
वै.त.श.आयोग, भारत सरकार